Thursday 17 March 2011

ख़ुशी और ग़म

क्या सच कहा  था उसने?  उसकी बातों के तथ्य तो उसके सामने ही मौजूद थे, पर क्या उसने कभी टटोला था उन्हें ? " ख़ुशी एक पागलपन है | ख़ुशी में एक अशालीनता है| पर उदाशी और दुःख , शालीनता एवं गंभीरता का परिचायक हैं| शायद, वही एक ज्ञानी और और बड़े आदमी का सूत्र है| क्या तमने स्वयं भी यही महसूस  नहीं किया है?"


वह चौंक उठा था, ये बातें सुनकर|  किस प्रकार से इस व्यक्ति ने अपने आप को दुःख की सीमा में बांधे रखने के लिए , हमेशा से, एक तथ्य अपने अन्दर स्थापित कर रखा था|  क्या वो अब तक समझ नहीं पाया था उसे? बचपन से तो वो उसे जानता था, शांत , गंभीर, पर उसने कभी सोचा नहीं था, की किसी दिन वो उससे, इन बातों का ये कारण सुनेगा|  शायद उसकी अपनी प्रकृति भी उसे ये स्वीकारने नहीं दे रही थी| ख़ुशी, ख़ुशी है, कोई पागलपन नहीं| कोई घृणित प्राप्ति नहीं| पर क्या उसने भी ये महसूस नहीं किया था? ख़ुशी में क्या  वो मदहोश न  हुआ था? ख़ुशी में  क्या उसने अपने आप को नहीं खोया था? ख़ुशी में क्या उसने अपने चरित्र  को धूमिल  होता न देखा था?  उसकी सोच जिस दिशामें अग्रसर हो रही थी , उसे सोचकर ही वो काँप उठा| "नहीं, नहीं, जिस प्रकार से तुमने अपने जीवन को दुःख के सागर में तैरता रहने का एक तथ्य ढूंढ  लिया है, में उसे स्वीकार नहीं कर  सकता| हो सकता है, तुम सही हो, तुम ज्यादा सझते हो, पर इंसान , उसे तो अधिकार है खुश रहने का| उसकी उत्पति ही उसी ख़ुशी की प्राप्ति के लिए हुई  है| उसका हर  कर्म उसके स्वयं  की ख़ुशी के ओर ले जाने वाले वाहन हैं| नहीं, में तुमसे सहमत नहीं, और यही उम्मीद करूंगा की तुम भी अपने इस उदासपूर्ण एवं गंभीर रूपरेखा से बाहर आओ, और  देखो, जीवन के खूबसूरती को, जीवन की धारा में बहके, इसका एहसास करके|", और इतना कहके वो उसके घर से विलीन हो गया, इस भाँती कि मानो,  उसने कभी वहां पग ही न धरे थे|

और तब, वो अकेला, सोचने लगा, " शायद मुझे उसे ये न बताना था|" और मुस्कुराता हुआ , अपना छाता उठाकर घर से बाहर निकला| धुप तेज थी, पर बारिश भी दूर नहीं लग रही थी| उसने फिर से अपने छाते को देखा, जिस प्रकार वो स्वयं इस धरती पे , इन राहों से गुजरते गुजरते, वो न था, जो वो अब था, वैसे ही वो छाता भी इन सब राहों में उसके साथ रहते रहते, आज कुछ और ही था, और शायद बस चन्द बारिशों का ही मेहमान, जैसे वो था, बस चन्द साँसों का, चन्द ऋतुओं का , चन्द मौसमों का, चन्द खुशियों का, चन्द मुकुराहटों का, मेहमान|


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